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गोपाल और शैतान चोर - एक समय की बात है, आनंदपुर नाम के एक खुशहाल राज्य में गोपाल नाम का एक होशियार और मजाकिया व्यक्ति रहता था। गोपाल राजा वीरेंद्र के दरबार का सलाहकार था और अपनी चतुराई और हास्य के लिए पूरे राज्य में मशहूर था।
एक दिन, गोपाल बीमार पड़ गया और दरबार में नहीं आ सका। इस पर राजगुरु हरिहर ने राजा से कहा, "महाराज, गोपाल की जगह मैं दरबार में अपनी सूझ-बूझ का प्रदर्शन कर सकता हूँ।" राजा मुस्कुराए और बोले, "हरिहर, गोपाल जैसा चतुर और चालाक व्यक्ति कोई नहीं है। इसे साबित करने का मौका मैं उसे जरूर दूंगा।"
इसी बीच, राज्य के खजाने से दो चोरों ने चोरी करने की योजना बनाई। हरिहर ने चोरों से कहा, "अगर तुम गोपाल की चतुराई से बचकर खजाना चुरा सकते हो, तो मैं तुम्हें इनाम दूंगा।" चोरों को यह चुनौती पसंद आई, और उन्होंने खजाना चुराने की ठान ली।
चोरों की योजना और गोपाल की चतुराई
चोरों की योजना का अंदाजा लगाते हुए, गोपाल ने अपनी पत्नी से कहा, "आज रात हमारे घर चोरी होने वाली है। इसलिए, मैं सभी कीमती चीजें एक बड़े मटके में डालकर गड्ढे में छिपा दूंगा।" गोपाल ने यह बात इतने जोर से कही कि बाहर खिड़की के पास छिपे चोरों ने सब सुन लिया।
चोर यह सुनकर बहुत खुश हुए। रात होते ही, वे गोपाल के घर में घुसे और मटके को निकालने में लग गए। मटके को देखकर उन्होंने सोचा कि इसमें जरूर खजाना होगा। जैसे ही उन्होंने मटका खोला, उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। मटके में केवल पत्थर और मिट्टी भरी हुई थी!
गोपाल ने अपने पड़ोसियों की मदद से चोरों को पकड़ लिया।
मजेदार सजा
अगले दिन, राजा वीरेंद्र ने दरबार में चोरों को पेश किया। गोपाल ने मुस्कुराते हुए कहा, "महाराज, अगर ये चोर मेहनत और ईमानदारी से काम करते, तो इन्हें चोरी की जरूरत नहीं पड़ती।" राजा ने चोरों को काम करने का एक और मौका दिया, लेकिन उन्हें तीन महीने तक कड़ी मेहनत करने का आदेश दिया।
राजा ने गोपाल की चतुराई की सराहना की और उन्हें पुरस्कार दिया। राजगुरु हरिहर भी यह मान गए कि गोपाल की बुद्धिमानी का कोई मुकाबला नहीं है।
सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि चतुराई और ईमानदारी से हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है। और यह भी कि गलत काम करने से हमें कभी फायदा नहीं होता।
"ईमानदारी से काम करो, और जीवन में आगे बढ़ो!"